परियोजना प्रबंधन और नवीन गतिविधियों को बढ़ावा देना
डेरी किसानों की आजीविका के अवसरों के सुदृढ़ीकरण हेतु विभिन्न पहल
दूध उत्पादकों/किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए इनावेशन एवं बेहतर उपायों की सतत् खोज करना एनडीडीबी का निरंतर प्रयास रहा है । सतत् सुधार की इस आवश्यकता से पर्यावरण सहायक गतिविधियों को डिजाइन करने तथा बदलती परिस्थितियों को शीघ्रता से अपनाते हुए एनडीडीबी के मूलभूत मूल्यों के सिद्धांतों पर अडिग रहने में भी मदद मिलती है ।
सहकारिता सेवाएं ग्रुप द्वारा हाल ही में आरंभ की गई कुछ पहल निम्नानुसार है:
खाद प्रबंधन पहल
एनडीडीबी ने खाद मूल्य श्रृंखला स्थापित करने की पहल की । खाद प्रबंधन
मॉडल की स्थापना लघुधारक महिला किसानों को खाना पकाने की ईंधन की उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मवेशी के गोबर का प्रभावी रूप से उपयोग करने, खाद प्रबंधन में कठिन परिश्रम को कम किया जा सके, रसोई में धुएं के कारण होने वाले स्वास्थ्य संकट को कम किया जा सके, पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को कम किया जा सके, पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को कम किया जा सके और बायोगैस संयंत्रों की डाइजेस्टेड स्लरी को उप-उत्पाद के रूप में बेचकर नियमित आय का एक अतिरिक्त स्रोत उपलब्ध कराया जा सके ।
खाद मूल्य श्रृंखला मॉडल
महिला किसानों द्वारा उनके आँगन में छोटी क्षमता (2 क्यूबिक मीटर) के घरेलू बायोगैस संयंत्र स्थापित किए गए हैं । उत्पन्न बायोगैस का उपयोग स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन के रूप में किया जाता है । इन बायोगैस संयंत्रों से उत्पादित बायो-स्लरी का उपयोग मुख्यत: उनके अपने खेत में किया जाता है तथा अतिरिक्त स्लरी को पारदर्शी परीक्षण एवं मापन पद्धति के माध्यम से निर्धारित गुणवत्ता मानकों के आधार पर अतिरिक्त स्लरी को महिला समूहों (या डेरी सहकारिताओं) द्वारा संकलित किया जाता है । स्लरी की खरीद का भुगतान किसानों के निजी बैंक खातों में किया जाता है ।
संकलित स्लरी को ठोस एवं तरल जैव उर्वरकों जैसे फास्फेट रिच आर्गेनिक खाद (पीआरओएम), तरल माइक्रोन्यूट्रीएंट इत्यादि के निर्माण के लिए प्रसंस्कृत किया जाता है और किसानों को बेच दिया जाता है । प्रसंस्करण और विपणन का प्रबंधन या तो दूध संघ द्वारा किया जाता है या पूर्ण अथवा आंशिक रूप से किसी आउटसोर्स उद्यम द्वारा किया जाता है । उत्पादों की बिक्री से उत्पन्न अतिरिक्त राशि का भुगतान वापस महिला किसानों को किया जाता है । इस मॉडल के दोहरे लाभ होते हैं – किसानों को एक तरफ तो स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन के साथ बायो स्लरी की बिक्री से अतिरिक्त आमदनी होती है और दूसरी तरफ पशुधन के गोबर का प्रभावी प्रबंधन करने से स्वच्छ एवं स्वस्थ वातावरण का निर्माण होता है । बायो स्लरी द्वारा जैव खाद के उत्पादन एवं बिक्री से कृषि की इनपुट लागत में कमी भी आती है ।
क) चित्र में खाद मूल्य श्रृंखला मॉडल का क्रियान्वयन (अनुलग्नक-1)
नया राष्ट्रीय बायोगैस एवं आर्गेनिक खाद कार्यक्रम
एनडीडीबी केंद्रीय क्षेत्र की योजना “नया राष्ट्रीय बायोगैस एवं आर्गेनिक खाद कार्यक्रम (एनएनबीओएमपी)’’ की एक प्रमुख कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसी है । एनडीडीबी पूरे देश में डेरी सहकारी दूध संघों/महासंघों के नेटवर्क के माध्यम से एनएनबीओएमपी को क्रियान्वित कर रही है ।
- इस योजना का उद्देश्य खाना पकाने के लिए हरित एवं स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराना तथा परिवारों की व्यक्तिगत बिजली एवं ऊर्जा की छोटी आवश्यकता की पूर्ति करना है । देश में घरेलू स्तर पर विशेष रूप से पशुधन के गोबर से बायोगैस एवं बायोगैस स्लरी के उत्पादन की बहुत संभावनाएं हैं । एनएनबीओएमपी को इस प्रकार से क्रियान्वित करने की परिकल्पना की गई है कि समीपवर्ती गांवों में कई बायोगैस संयंत्र स्थापित किए जाएंगे । इससे बायो स्लरी को संकलित एवं प्रसंस्कृत करने तथा उसे मूल्य वर्धित उत्पादों जैसे कि आर्गेनिक खाद में परिवर्तित के अवसर उपलब्ध होंगे । इस योजना से संबद्ध दस्तावेजों, प्रासंगिक परिपत्रों और कार्यान्वयन की प्रगति को यहां https://mnre.gov.in/bio-energy@schemes पर देखा जा सकता है ।
i) एनएनबीओएमपी हेतु कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में एनडीडीबी का समावेश (अनुलग्नक 2)
ii) 2019-20 के लिए एनएनबीओएमपी के अंतर्गत एनडीडीबी को दिए गए लक्ष्य (अनुलग्नक 3)
iii) 2020-21 के लिए एनएनबीओएमपी के अंतर्गत एनडीडीबी को दिए गए लक्ष्य (अनुलग्नक 4)
ख. कार्यान्वयन की प्रगति
i) 2019-20 एनएनबीओएमपी के अंतर्गत लाभार्थियों की सूची (अनुलग्नक 5)
ग. नए प्रस्ताव
i) एनएनबीओएमपी के अंतर्गत नए प्रस्ताव को जमा करने के लिए निर्दिष्ट प्रपत्र (अनुलग्नक 7)
ii) एनएनबीओएमपी के अंतर्गत लाभार्थियों की प्रस्तावित सूची का प्रपत्र (अनुलग्नक 8)
iii) एनएनबीओएमपी के क्रियान्वयन हेतु उपलब्ध कराए जाने वाले वचन पत्र का प्रपत्र (अनुलग्नक 9)
बायोगैस ऊर्जा (ऑफ-ग्रिड) उत्पादन तथा थर्मल एप्लिकेशन कार्यक्रम
एनडीडीबी केंद्रीय क्षेत्र योजना “बायोगैस ऊर्जा (ऑफ-ग्रिड) उत्पादन एवं थर्मल एप्लिकेशन कार्यक्रम (बीपीजीटीपी)’’ की एक कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसी है ।
इस योजना का उद्देश्य ऑफ ग्रिड/वितरण हेतु बायोगैस उत्पादन और विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा उपयोग तथा औद्योगिक एवं घरेलू इस्तेमाल के लिए थर्मल ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना है । विभिन्न स्रोतों जैसे गाय के गोबर/पशु अपशिष्ट, खाद्य एवं रसोई अपशिष्ट, मुर्गी के मल अपशिष्ट, कृषि उद्योग के अपशिष्ट इत्यादि से प्राप्त आर्गेनिक बायो डिग्रेडेवल अपशिष्ट का इस्तेमाल बायोगैस संयंत्रों में किया जा सकता है ।
इस योजना से संबद्ध दस्तावेज यहां https://mnre.gov.in/bio-energy/schemes पर देखे जा सकते हैं ।
सोलर पम्प इरिगेटर्स कोऑपरेटिव एंटरप्राइज
एनडीडीबी ने अंतर्राष्ट्रीय जल प्रबंधन संस्थान (आईडब्ल्यूएमआई) और राजस्थान इलेक्ट्रानिक एवं इंस्ट्रूमेंट लिमिटेड (आरईआईएल) के सहयोग से आणंद के मुजकुवा गांव के 11 किसानों को एकत्रित करके सोलर पम्प इरिगेटर्स कोऑपरेटिव इंटरप्राइज (स्पाइस) को गठित करने की एक प्रायोगिक परियोजना क्रियान्वित की । किसान अपने खेतों में सोलर पैनल स्थापित करके तथा सोलर पम्पों के माध्यम से सिंचाई के लिए इसका उपयोग करके सौर ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं । ये सोलर पम्प सहकारिताओं द्वारा स्थापित माइक्रो ग्रिड के माध्यम से डिस्कॉम फीडर से जुड़े हुए हैं, जिससे अतिरिक्त सौर ऊर्जा डिस्कॉम को बेच सकते हैं । सोलर कोऑपरेटिव के सदस्य बिजली की बिक्री के माध्यम से प्राप्त अतिरिक्त आय के साथ सिंचाई की बिजली के बिलों पर बचत करने के दोहरे लाभ प्राप्त करते हैं।
मुजकुवा स्पाइस देश का पहला ऐसा मॉडल है, जिसमें पहले से ग्रिड से जुड़े किसानों ने अपनी सब्सिडी वाले कृषि कनेक्शन को छोड दिया तथा ग्रिड से जुड़े सोलर पम्पों को चुना । भारत के माननीय प्रधानमंत्री ने 30 सितंबर 2018 को मुजकुवा स्पाइस का उद्घाटन किया गया था ।
स्पाइस मॉडल की जानकारी से गुजरात सरकार को इसी प्रकार की सूर्यशक्ति किसान योजना (स्काई) जैसा मॉडल बनाने में सहयोग मिला । स्पाइस मॉडल भावना को पूरे देश में बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (कुसुम) का शुभारंभ भी किया है । सामूहिक गतिविधियों के लिए किसानों को एकत्रित करने के एनडीडीबी के व्यापक अनुभव तथा डेरी सहकारिता नेटवर्क के प्रति दृढ़ संबंध को ध्यान में रखते हुए, पूरे देश में कुसुम योजना के क्रियान्वयन हेतु एनडीडीबी पूरे देश की डेरी सहकारिताओं के साथ भागीदारी करना चाहती है । देशभर में स्पाइस का आयोजन कर सहकारिता की भावना को फैलाना चाहती है ।
क. योजना से संबंधित दिशा-निर्देश एवं प्रासंगिक आदेश पीएम-कुसुम को यहां https://mnre.gov.in/solar/schemes डाउनलोड किया जा सकता है ।
राष्ट्रीय मधुमक्खीपालन एवं शहद मिशन
मधुमक्खीपालन प्रमुख कृषि एवं बागवानी फसलों के उत्पादन में पर-परागण के माध्यम से वृद्धि करने के लिए उत्प्रेरक का कार्य करता है ।
एनडीडीबी ने किसानों के बीच मधुमक्खीपालन को बढ़ावा देने के लिए देश में डेरी सहकारिताओं के नेटवर्क का उपयोग करने के मिशन की शुरूआत की । दूध के संकलन, प्रसंस्करण एवं विपणन की सुव्यवस्थित मूल्य श्रृंखला के अनुरूप एनडीडीबी शहद के लिए भी इसी प्रकार की मूल्य श्रृंखला स्थापित करने का प्रयास कर रही है ।
राष्ट्रीय मधुमक्खीपालन एवं शहद मिशन (एनबीएचएम) को डेरी सहकारी नेटवर्क में क्रियान्वयन करने के लिए एनडीडीबी को इनकी एक कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में शामिल किया गया है ।