चारा संरक्षण और इनोवेटिव मॉडलों के विकास के लिए उपयुक्त तकनीकों की शुरूआत
साइलेज निर्माण की तकनीक का विकास
गर्मियों के मौसम के दौरान साइलेज (संरक्षित हरा चारा) डेरी पशुओं को चारे की आपूर्ति करने का एक किफायती विकल्प है।
क. साइलेज निर्माण के लिए संरचनात्मक मॉडल:
एनडीडीबी ने 3 से 500 मीट्रिक टन तक की क्षमता वाले सतह साइलो बंकरों के उपयोग द्वारा साइलेज निर्माण के विभिन्न तरीके विकसित किए हैं।
मुजकुवा गांव (आणंद, गुजरात) और काटेवाड़ी गांव (बारामती, महाराष्ट्र) में डीसीएस पर आधारित कम लागत वाले व्यावसायिक साइलेज निर्माण का मॉडल विकसित किया गया था।
प्रदर्शन के उद्देश्य हेतु आंध्र प्रदेश के गुंटूर में बड़े पैमाने पर व्यावसायिक साइलेज निर्माण का मॉडल प्रचारित किया गया।
ख. साइलेज निर्माण के लिए उपयुक्त चारा फसलें:
मक्का, ज्वार और जई जैसी चारा फसलों के बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों से पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, झारखंड इत्यादि जैसे कई राज्यों में इस तकनीक को शीघ्र अपनाने में किसानों की मदद मिली है।
डेरी किसानों के लाभ के लिए उचित गुणवत्ता के साथ अधिक साइलेज उत्पादन प्राप्त करने के लिए एनडीडीबी चारा फसलों की उपयुक्त किस्मों की पहचान करने के लिए अपना शोध जारी रखे हुए है।
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