जीनोमिक्स
केवल वंशावली की जानकारी के आधार पर पशुओं का चयन कम विश्वसनीय होता है । सांड़ के चयन के लिए पुत्री के प्रदर्शन की प्रतीक्षा करना बहुत महंगा है और भारतीय जलवायु में इसमें 8-10 वर्ष का समय लगता है । जीनोमिक चयन में वंशावली की जानकारी के साथ-साथ जीनोम में बिखरे सघन डीएनए मार्कर (अर्थात् एकल न्यूक्लियोटाइड पॉलीमार्फिज्म-एसएनपी) की जानकारी का उपयोग करके पशुओं का चयन किया जाता है। यह पशु की कम उम्र में किया जा सकता है और वंशावली आधारित चयन की तुलना में अधिक सटीक अनुमानित प्रजनन मूल्य देगा।
हाल के समय में, जीनोमिक चयन दृष्टिकोण पशु प्रजनन के क्षेत्र में एक आशाजनक उपकरण के रूप में उभरा है क्योंकि यह कम उम्र में पशुओं के चयन को सक्षम बनाता है जिससे तेजी से आनुवंशिक प्रगति प्राप्त करने में सुविधा होती है।
विभिन्न संतान परीक्षण और वंशावली चयन परियोजनाओं में अधिक संख्या में पशुओं के दूध की रिकार्डिंग करने के साथ ही एनडीडीबी ने 2014 के दौरान भारत में गायों और भैंसों में जीनोमिक चयन को क्रियान्वित करने के लिए अपने प्रयास शुरू किए जिसका उद्देश्य देश की लघु धारक डेरी प्रणाली के अंतर्गत अधिक विश्वसनीय जीनोमिक प्रजनन मूल्यों (जीबीवी) के आधार पर पशुओं का चयन करने के लिए उपयुक्त पद्धति का विकास करना है।
जीनोमिक चयन के क्रियान्वयन में सहयोग देने के लिए विशाल संदर्भ आबादी का विकास करने हेतु विभिन्न नस्लों की गायों और भैंस के दूध रिकार्डेड पशुओं का डीएनए कोष स्थापित किया गया है।
2015 में, एनडीडीबी द्वारा " INDUSCHIP (इंडसचिप)" नामक एक मध्यम घनत्व का विशेष चिप विकसित किया गया था । गाय की इंडिसीन (जेबू) नस्लों और उनके संकर को क्वांटिटेटिव जेनेटिक्स और जीनोमिक्स सेंटर, आरहुस विश्वविद्यालय, डेनमार्क के तकनीकी मार्गदर्शन में विकसित किया गया था। वर्तमान में, विभिन्न भारतीय पशु नस्लों और उनके संकर की जानकारी के लिए INDUSCHIP2 का उपयोग किया जा रहा है जिसमें लगभग 53K एसएनपी उपलब्ध है।
इंडसचिप का उपयोग करके एच॰एफ॰ संकर नस्ल और गिर गायों के जीनोमिक प्रजनन मूल्यों का आकलन किया गया और जिन्हें क्रमशः 2018 और 2019 में प्रकाशित किया गया था। देश में पहली बार जीनोमिक प्रजनन मूल्य के आधार पर युवा सांडों का चयन शुरू किया गया है। अब, विभिन्न गायों और भैंस नस्लों में शीघ्र आनुवंशिक प्रगति के लिए एच॰एफ॰सी॰ बी॰, जर्सी सी॰बी॰, गिर और मुर्रा नस्लों के जीनोमिक रूप से चयनित सांड़ों की आपूर्ति वीर्य केंद्रों को जा रही है।
2019 में, एनडीडीबी ने ट्राई-बिनिंग दृष्टिकोण का उपयोग करके भैंसों की लगभग पूर्ण हैप्लोटाइप फेज्ड जीनोम एसेंब्ली विकसित की।
इसके बाद, 2020 में, BUFFCHIP (बफचिप) नामक एक मध्यम घनत्व (59K) कस्टम जीनोटाइपिंग चिप को यूएसडीए की तकनीकी सहायता से डिजाइन किया गया था और भैंसों में जीनोटाइपिंग की शुरूआत की गई थी।
इंडसचिप और बफचिप जीनोटाइप का उपयोग करके, विभिन्न नस्लों के सांड़ बछड़ों, बछिया, गायों और सांड़ों की नस्ल संरचना को जानना संभव हुआ है। इसके अलावा, युवा सांड़ बछड़ों और बछिया के जीनोमिक प्रजनन मूल्यों का आकलन किया जा सकता है और शीघ्र चयन हेतु उनकी उत्पादन क्षमता का पता लगाया जा सकता है।
एनडीडीबी ने किसानों, वीर्य केंद्रों और विभिन्न संस्थानों को अपने पशुओं की नस्ल संरचना का आकलन करने और लागत के आधार पर जीनोमिक प्रजनन मूल्य (जीबीवी) का आकलन करने के लिए यह सुविधा का निर्माण किया है।