दूध का कार्बन फुटप्रिंट
ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) का उत्सर्जन दूध उत्पादन से जुड़ी कई गतिविधियों के कारण होता है जो प्रारंभ से अंत तक डेरी आपूर्ति श्रृंखला में शामिल होती हैं। व्यापक तौर पर इन गतिविधियों में कृषि सामग्रियों का उपयोग जैसे उर्वरक, पशुओं के आहार और चारे के उत्पादन के लिए जीवाश्म ईंधन, पशु आहार संयंत्रों में कंसंट्रेटों का प्रसंस्करण, आंत्रीय किण्वन, खाद प्रबंधन और डेरी सहकारी समितियों में दूध का प्रसंस्करण, दूध संघों में इसका विभिन्न दूध उत्पादों में रूपांतरण और खुदरा आपूर्ति श्रृंखलाओं के माध्यम से उनका वितरण आदि शामिल हैं। इसलिए डेरी आपूर्ति श्रृंखला में शामिल सभी गतिविधियों पर विचार करना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत जीवन चक्र मूल्यांकन (एलसीए) पद्धति का उपयोग करके दूध के 'कार्बन फुटप्रिंट' को मापना महत्वपूर्ण है। यह देश के डेरी क्षेत्र के लिए जीएचजी उत्सर्जन और शमन रणनीतियों की योजना निर्माण के प्रमुख बिंदुओं को समझने का अवसर प्रदान करता है।
दूध का कार्बन फुटप्रिंट (सीएफ) किसी निश्चित प्रणाली के दायरे में दूध के पूरे जीवनचक्र में उत्सर्जित निवल जीएचजी का योग है और निर्दिष्ट संरचना के साथ दूध की एक परिभाषित मात्रा से संबंधित है। दूध के सीएफ की गणना करने के लिए, एक एलसीए की आवश्यकता होती है जहां प्रणाली के सभी इनपुट और आउटपुट को दूध उत्पादन चक्र में फार्म-गेट अथवा उससे आगे तक मान्य किया जाता है। डेरी आपूर्ति श्रृंखला से उत्सर्जित होने वाले सबसे महत्वपूर्ण जीएचजी कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), मीथेन (CH4), नाइट्रस ऑक्साइड (N2O) और कुछ हद तक हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs) हैं। सीएफ को सभी जीएचजी उत्सर्जन के योग के रूप में व्यक्त किया जाता है जिसे किग्रा. CO2 में परिवर्तित किया जाता है, जो प्रति किग्रा. फैट तथा प्रोटीन - सुधारित दूध के समतुल्य है ।
एंटेरिक किण्वन से उत्सर्जित मीथेन प्रमुख कारक है जो डेरी क्षेत्र के कुल जीएचजी उत्सर्जनों के लिए 75 प्रतिशत तक योगदान देता है। एनडीडीबी के आहार संतुलन उपाय से गायों और भैंसों से आंत्रीय मीथेन उत्सर्जन को कम करने के आशाजनक परिणाम मिले हैं । दूध उत्पादन, प्रजनन और पशुओं के समग्र निष्पादन पर आहार संतुलन से जीवन पर्यन्त मिलने वाले लाभों को ध्यान में रखते हुए इस बात का अनुमान किया गया है कि संतुलित आहार खिलाने से गायों और भैंसों में 30 प्रतिशत तक दूध के कार्बन फुट प्रिंट में कमी लाना संभव है ।