Address by Shri Meenesh Shah, Chairman, NDDB पशु संरक्षण , उद्यान प्रदर्शनी, आत्मनिर्भर कृषि महोत्सव के समापन समारोह - 20 February 2023

Kisan Mela

पशु संरक्षण , उद्यान प्रदर्शनी, आत्मनिर्भर कृषि महोत्सव  के समापन समारोह

 Krishi Vigyan Kendra, Piprakothi, East Champaran

20th February, 2023

Address by Guest of Honour – Shri Meenesh Shah, Chairman, NDDB

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आज के इस पशु संरक्षण , उद्यान प्रदर्शनी, आत्मनिर्भर कृषि महोत्सव  के इस समापन कार्यक्रम में  शामिल होकर मुझे काफी खुशी का अनुभव हो रहा है।

यह खुशी की बात है की  18 से 20 फ़रवरी तक चलने वाले इस कार्यक्रम में  किसानों को  पशुपालन , कृषि तथा उद्यान  से संबन्धित नवीनतम तकनीकों की जानकारी दी गयी है । निश्चित रूप से हमारे किसानों को इसका भरपूर लाभ मिलेगा ।

मेरा मानना है की इससे न केवल उनके काम करने के तरीके  बेहतर होंगे बल्कि उनकी आर्थिक प्रगति का भी मार्ग प्रशस्त होगा । 

मैं KVK Piprakothi का इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए सराहना करता हूँ।

मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि इस वर्ष जो कृषि मेला का थीम रखा गया है उसमें आत्मनिर्भरता की बात की गयी और आत्मनिर्भर कृषि पर बल दिया गया है । 

COVID-19 के वैश्विक संकट के दौरान देश को जो  महत्वपूर्ण सीख मिली है, वह है “आत्मनिर्भरता” हासिल करना, चाहे वह Defense sector हो , Energy  sector हो , Medical Sector हो,  Manufacturing हो या फिर agriculture हो । हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी Vocal for Local का नारा दिया है ।

अगर कृषि की बात करें तो हमारे देश में हरेक राज्य , हरेक जिले या हरेक  गाँव  की अपनी एक खासियत (Specialty) होती है । हरेक  जिले में विभिन्न  तरह के कृषि उत्पाद का उत्पादन होता है ।  कहीं आम का अच्छा उत्पादन होता है , तो कोई केले के लिए जाना जाता है , कहीं Spices का अच्छा काम है, तो कोई जगह Mustard के लिए मशहूर है ।  परंतु Price Incentive, Promotion, Storage और marketing के अभाव में इन कृषि उत्पादों के साथ साथ जो छोटी और मध्यम दर्जे की Industry का विकास होना चाहिए वो नहीं हो पाता है । इसी लिए कई बार देश में ऐसे कृषि उत्पादों की  घरेलू उत्पादन क्षमता रहते हुए भी हमें विदेशों से उनका आयात करना पड़ता है ।  

अतः आत्मनिर्भरता के इस मंत्र को हमें गाँव के स्तर तक ले जाना होगा । हमें जो हमारे ग्रामीण युवा साथी है , उनको आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करना होगा ।

इसके लिए हमें  गाँव के लोगों/ग्रामीण युवाओं का skill development करना होगा, ताकि वो गाँव में ही उपलब्ध खेतीबारी (Agriculture), पशुपालन (Animal Husbandry), बागवानी (Horticulture), गोबर प्रबंधन, मधुमक्खी पालन या अन्य जो भी संसाधन  (Resources) हैं, उससे संबन्धित व्यवसाय करने का अच्छा और स्वावलंबी उदाहरण प्रस्तुत कर पाएँ। हमें गाँव के स्तर पर entrepreneurship development को बढ़ावा देना होगा । अगर ऐसा होगा तो , गाँव के लोगों को शहरों की तरफ देखने की जरूरत  नहीं पड़ेगी।

 

मैं समझता हूँ हमारे ग्रामीण युवा उद्यमी (Enterprising) हैं व नई पद्धति (New Methods) को अपनाने में रुचि रखते हैं, अवसर का लाभ उठाना चाहते हैं, और थोड़ा risk लेने के लिए भी तैयार है  ।

 

जरूरत है , उनके व्यवसाय के लिए उचित वातावरण तैयार किया जाये ।  और इसके लिए चाहे वह जन प्रतिनिधि हों , तकनीकी विशेषज्ञ हों , Industry के लोग हों , या सामाजिक कार्यकर्ता हों , उन सभी को अपने अपने स्तर पर प्रयास करना होगा ।

देश में सहकारिता के माध्यम में  हुई  दुग्ध क्रांति  इस संदर्भ में सबसे बड़ा उदाहरण है। आप सभी इस बात से सहमत होंगे की इस क्रांति ने गाँव में  दुग्ध व्यवसाय के रूप एक नया अर्थतंत्र खड़ा किया, और गाँव में स्वरोजगार का एक नया आयाम स्थापित किया। आज दूध राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत का योगदान करने वाला सबसे बड़ा कृषि उत्पाद है और 8 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को सीधे रोजगार देता है।

जहां तक डेरी सैक्टर का सवाल है , राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड, दुग्ध व्यवसाय को बढ़ावा देने तथा इसे और लाभकारी बनाने के लिए कृतसंकल्पित है तथा अपनी योजनाओं के माध्यम से हमारा यह प्रयास रहा है की हम दुग्ध उत्पादकों के आय में वृद्धि कर सकें और उनके जीवन स्तर में सुधार ला सकें।

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की पहल पर बिहार के 4 जिलो मे पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चम्पारण, गोपालगंज व शिवहर में दूध व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए बापुधाम मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड का गठन किया गया।  बापूधाम मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी किसानो के स्वामित्व वाली एक संस्था है जो “किसानों के लिए किसानों द्वारा” गठित की गई है। कंपनी ने अपना संचालन 2 अक्टूबर 2017 से शुरू किया।

इस  Producer Company से 61000 दूध उत्पादक जुड़े हैं और करीब 80000 लिटर प्रतिदिन से ज्यादा दूध का संकलन किया जा रहा है। सबसे खुशी की बात है की करीब 62% महिला सदस्य हैं ।  उत्पादक कंपनी द्वारा प्रजनन शिविर, पशु आहार, खनिज मिश्रण, कीड़े मारने की दवा, कृत्रिम गर्भाधान व आहार संतुलन कार्यक्रम  भी चलाया जा रहा है।

हमारी लगातार बढ़ती आबादी के कारण जमीन की उपलब्धता कम होती जा रही है । दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए हमें पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है न की पशुओं की संख्या में वृद्धि करना ।

आधुनिक पशुपालन में डेयरी किसान को प्रत्येक पशु द्वारा उत्पादित दूध की मात्रा में सुधार करना होता है, इससे  प्रति लीटर दूध के उत्पादन के लिए आवश्यक चारा , पानी और स्थान की मात्रा कम होगी । इसके लिए जरूरी है की  हमारे किसान भाई अच्छी, रोग प्रतिरोधी (Disease Resilient) और Climate Friendly पशुओं की नस्लों का चयन करें।  जानवरों का चयन करते समय स्थलाकृति (Topography), मिट्टी के प्रकार, फ़ीड और चारे की उपलब्धता पर भी विचार किया जाना चाहिए।

आप सभी किसान भाइयों और बहनों को यह अच्छी तरह से ज्ञात है कि पशु प्रजनन (animal breeding), पशु आहार (animal feeding) और पशु स्वास्थ्य (animal health) का दूध की उत्पादकता और इससे होने वाली आय में काफी असर पड़ता है।

हमें गर्व है कि हमारा देश विश्व में सबसे अधिक दूध का उत्पादन करता है, परंतु हमें पशुपालन और डेयरी व्यवसाय को और sustainable और profitable बनाने के लिए कई नयी scientific animal breeding, feeding और health interventions को आपके सहयोग से इस क्षेत्र में और पूरे देश में लागू करना जरूरी है। इस दिशा में केंद्र सरकार के मार्गदर्शन और सहयोग से एनडीडीबी कई schemes/ projects/ activities को implement कर रही है।

 

जैसे की

  • वैज्ञानिक प्रजनन कार्यक्रमों (PT/PS) के आधार पर श्रेष्ठ आनुवंशिक गुण वाले सांड़ों का चयन और उत्पादन जिनसे high quality disease free semen doses का उत्पादन किया जा रहा है। इन semen doses से AI और other technologies के माध्यम से large scale पर breed improvement कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
  • इसके साथ अधिक उत्पादन वाले पशुओं के चयन की प्रक्रिया को तेज करने के लिए बहु-नस्लीय जीनोमिक चिप (एनडीडीबी द्वारा विकसित INDUSCHIP और BUFFCHIP) का उपयोग भी किया जा रहा है जिसमें DNA स्तर की जानकारी के आधार पर श्रेष्ठ आनुवंशिक गुण वाले सांड़ों का चयन किया जाता है।
  • एक वर्ष में ही elite गायों या भैंसों से अधिक संख्या में संतान प्राप्त करने के लिए, ET और IVF जैसी तकनीकों को अब किसान के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके लिए भारत सरकार ने RGM योजना के Accelerated Breed Improvement Programme के तहत एक परियोजना को मंजूरी दी है। इस परियोजना से लगभग 2 लाख किसानों को लाभ होने की उम्मीद है।
  • इसके अलावा, कार्यान्वित किए जा रहे breed improvement programmes में तेजी लाने के लिए, भारत सरकार ने 90% accuracy के साथ मादा बछड़ों के उत्पादन के लिए sex sorted semen doses के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना को भी मंजूरी दी है। अगले 5 वर्षों में sex sorted semen doses का  उपयोग करके करीब 46 लाख गर्भधारण की परिकल्पना की गई है।
  • Frozen semen doses की गुणवत्ता में सुधार और विस्तार के लिए वर्तमान वीर्य केंद्रों को सुदृढ़ किया जा रहा है।
  • गायों और भैंसों के प्रजनन के लिए dedicated Breed Multiplication Farm की भी स्थापना की जा रही है जिसमें entrepreneurs बढ़ चढ़ कर भाग ले रहे हैं । इन फार्मों से रोग-मुक्त अधिक दुग्ध उत्पादन करने वाली, विशेषकर देशी नस्ल की, बछिया/ गर्भवती बछिया/ गायों और भैंसों को किसान भाइयों और बहनों को उपलब्ध कराया जाएगा। 

 

पशु पोषण को सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM) के अंतर्गत देश में गुणवत्तापूर्ण चारा बीज के उत्पादन की गतिविधियों को बढ़ाया जा रहा है और इस परियोजना के अंतर्गत quality certified breeder और foundation चारा बीजों के उत्पादन के लिए वित्तीय सहयोग भी प्रदान किया जा रहा है।

अक्सर, डेरी किसानों को आहार खिलाने से संबंधित वैज्ञानिक पद्धति की समुचित जानकारी नहीं होती है- आनुवंशिक क्षमता के अनुरूप दूध उत्पादन प्राप्त करने के लिए, एनडीडीबी ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर एक user friendly android application ई-गोपाला  विकसित किया है ।

इससे आहार की लागत को कम करने, डेरी पशुओं के आहार को संतुलित करने और दूध उत्पादन से लाभप्रदता में सुधार लाने में मदद मिलती है। आप इस application को Google Playstore से download कर सकते हैं और बड़ी आसानी से कुछ सरल प्रक्रियाओं को अपनाकर इस application की मदद से अपने पशुओं के लिए आहार का संतुलन कर सकते हैं । 

तीसरा महत्वपूर्ण भाग है- पशु स्वास्थ्य। जब महत्वपूर्ण डेरी पशु रोगों के लिए किफायती, प्रभावकारी, उपयोग में आसान समाधान मिलेगा तो दूध की quantity और quality दोनों बढ़ेगी। मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि एनडीडीबी ने आयुर्वेदिक पशु चिकित्सा (EVM) के माध्यम से कई मुख्य पशुधन की बीमारियों की रोकथाम के लिए simple formulations बनाया है।

ये formulations अधिकतर किसान के घर में उपलब्ध सामग्री से ही तैयार किए जाते हैं और एक किफायती और असरकारक समाधान प्रदान करते हैं और इससे एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग में भी कमी आती है। EVM की जानकारी ई-गोपाला  App में उपलब्ध है। आप सभी किसान भाइयों और बहनों से अनुरोध है की इस Application को जरूर download और use करें।

केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा चलायी जा रही vaccination programme भी पशु को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। पशुपालन से उत्पन्न गोबर का सही  प्रबंधन  कर bio gas तथा जैविक खाद का उत्पादन किया जा सकता है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय मिलेगी। इससे  महिलाओं को रसोई के लिए बहुत कम परिश्रम एवं लागत में ईंधन मिलेगा।  इससे  वातावरण में हानिकारक methane gas  का उत्सर्जन भी कम होगा और गाँव की स्वच्छता में सुधार आएगा। डेरी किसान  अपने घरों में ऐसे सुविधाजनक फ्लेकसी बायोगैस संयंत्रों की स्थापना कर, biogas  और  जैविक खाद  के माध्यम से अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं। एनडीडीबी देश भर में ऐसे Manure Management Model को स्थापित करने पर ज़ोर दे रहा है ।

हाल में कृषि के क्षेत्र में NDDB द्वारा कुछ नए initiatives लिए गए हैं , उनके बारे में मैं आपको बताना चाहूँगा ।

  • पिछले दिनों नेशनल को-ऑपरेटिव ऑर्गेनिक्स लिमिटेड संस्था की स्थापना की गयी है और  एनडीडीबी  इस संस्था का promoter member है । यह संस्था  सहकारी समितियों और संबंधित संस्थाओं द्वारा उत्पादित organic products के एकत्रीकरण (Aggregation), ब्रांडिंग (Branding) और विपणन (Marketing) को बढ़ावा देगी ।
  • हम भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड को भी बढ़ावा दे रहे हैं जो विभिन्न सहकारी समितियों और अन्य संबंधित संस्थाओं के माध्यम से गुणवत्ता वाले बीजों ( Quality Seeds ) के उत्पादन, खरीद, प्रसंस्करण, ब्रांडिंग, पैकेजिंग, Storage, Marketing के लिए Apex Organization के रूप में कार्य करेगी।
  • खाद्य तेल का अपर्याप्त घरेलू उत्पादन चिंता का कारण बना हुआ है। भारत एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की लागत से , लगभग 25 मिलियन टन खाद्य तेल यानि , अपनी आवश्यकता का 55% से अधिक का आयात करता है । एनडीडीबी, भारत सरकार से साथ मिलकर कई स्तर पर कार्य कर रहा है , जैसे अच्छी गुणवत्ता के बीज उपलब्ध करना ,  training and capacity building efforts द्वारा improved cultivation practices को बढ़ावा देना , Oilseed FPOs का गठन करना और market linkage की व्यवस्था करना ।

 

अंत में मैं इस अवसर पर, मैं एक बार फिर से, पशु संरक्षण , उद्यान प्रदर्शनी, आत्मनिर्भर कृषि महोत्सव  के आयोजन के लिए, मुझे  यहाँ  बुलाने के लिए , सभी आयोजकों को हार्दिक धन्यवाद देता हूँ ।

मैं  यहाँ मौजूद सभी किसान भाइयों और बहनों से आग्रह करूंगा कि आप इस महोत्सव का पूरा लाभ उठाएँ ओर कृषि, पशुपालन और बागवानी  से  संबन्धित वैज्ञानिक पद्धतियों को पूरे मन से अपनाएँ और देश को  आत्मनिर्भर बनाने में अपना योगदान दें ।  

 

धन्यवाद ।